पूर्वी चंपारण। जिला कृषि विभाग रबी फसल की बुवाई को लेकर आवश्यक तैयारी शुरू कर दी है।
जिले में इस वर्ष 1,54,810 हेक्टेयर भूमि में रबी खेती का लक्ष्य निर्धारित है। इसकी जानकारी देते जिला कृषि पदाधिकारी ने मनीष कुमार सिंह ने बताया कि विभाग किसानो को सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी के साथ खेती के नये टिप्स देने की व्यवस्था शुरू कर दी है।
इसके पूर्व विभाग द्धारा जिलास्तरीय रबी महोत्सव का आयोजन कर रबी खेती के लिए आवश्यक प्रशिक्षण भी किसानो कृषि कर्मियों को दिया गया है।साथ ही जिले के सभी 27 प्रखंडों में प्रखंड स्तरीय रबी महोत्सव का आयोजन किया गया है।इसके अलावे विभाग अब पंचायत स्तर पर किसान चौपाल आयोजित करने की तैयारी में जुटा है।
उन्होंने बताया कि विभाग रबी खेती के लिए सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ पंचायत स्तर तक पहुंचाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने में जुटा है।इसके साथ ही इस साल जिले का लक्ष्य प्रखंड स्तर पर निर्धारित नहीं कर पंचायत स्तर पर निर्धारित किया जा रहा है,ताकि सरकार की सभी कृषि योजना सीधे पंचायत स्तर तक पहुंचाकर उपादान में बढ़ोतरी की जा सके।
डीएओ ने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत जीरो टिलेज फसल पद्धति पर आधारित गेहूं प्रत्यक्षण बीज वितरण 10 वर्ष से कम आयु के प्रभेद, 10 वर्ष से अधिक उम्र आयु के प्रभेद, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना रफ्तार, जीरो टिलेज, हरित क्रांति, मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना गेहूं, मुख्यमंत्री मसूर बीज योजना, बीज ग्राम गेहूं बीज योजना, मसूर बीज योजना के अलावा सरसों, राई, मटर बीज योजना शामिल हैं। दलहन फसल के लिए योजनाएं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन दलहन के तहत मसूर बीज योजना, मूंग बीज योजना, खेसारी बीज योजना आदि शामिल हैं। जिले के कुल 1,54,810 हेक्टेयर भूमि पर रबी फसलों के आच्छादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
इसमें गेंहू के लिए 1,18000 हेक्टेयर, रबी मक्का का 20100, मसूर के लिए 8500, मटर 800, चना 250, अन्य दलहन 1100, राई व सरसो 3790 व तीसी का 2270 हेक्टेयर भूभाग में लक्ष्य निर्धारित किया गया है। निर्धारित लक्ष्य के पूर्ति के लिए प्रखंड स्तर पर विहान ऐप पर आच्छादन का लक्ष्य अपलोड किया जा रहा है। जिसके बाद रबी का लक्ष्य अपलोड किया जा रहा है। जिसके बाद रबी फसल के लिए अंतिम रूप से लक्ष्य का निर्धारण कर दिया जाएगा। उन्होने बताया कि रबी मौसम के लिए उर्वरक की पर्याप्त स्टाॅक सुनिश्चित कर लिया गया है।वही सिंचाई के उपरांत नाइट्रोजन की भी किसी प्रकार की कोई कमी नही होने दी जायेगी।