तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने रविवार को एक ऐतिहासिक घोषणा करते हुए कहा कि सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि को पढ़ने वाले को 10 लाख अमेरिकी डॉलर मिलेंगे. यह घोषणा उन्होंने तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन पर की, जो सिंधु घाटी सभ्यता की खोज के 100 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित किया गया था.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंधु घाटी सभ्यता दुनिया की सबसे पुरानी और विकसित सभ्यताओं में से एक है, लेकिन उसकी लिपि आज भी एक अनसुलझी पहेली बनी हुई है. उनका कहना था कि सिंधु घाटी की लिपि को अभी तक कोई स्पष्ट रूप से पढ़ने में सफल नहीं हो पाया है, और इसे समझने के लिए विद्वान और शोधकर्ता लगातार प्रयास कर रहे हैं. स्टालिन ने इसे एक चुनौती के रूप में प्रस्तुत करते हुए इस लिपि को सुलझाने वाले को बड़ा पुरस्कार देने का एलान किया.
भारतीय इतिहास के लिए जरूरी
उन्होंने कहा कि इस लिपि को पढ़ने का प्रयास करने वालों के लिए यह एक शानदार अवसर होगा, क्योंकि यह भारतीय इतिहास और संस्कृति के गहरे रहस्यों को उजागर करने में सहायक हो सकता है. मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि इस प्रयास को प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कार राशि का प्रस्ताव रखा गया है, ताकि इससे अधिक से अधिक शोधकर्ताओं को प्रेरणा मिल सके. सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि एक ऐसा अनसुलझा मुद्दा है, जिस पर वर्षों से शोध चल रहा है.
रहस्यों को सुलझाने के लिए उठाया गया कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि इस लिपि का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मूल्य है, जो आज तक पूरी तरह से समझ में नहीं आया है. हालांकि, कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन अब तक किसी भी शोधकर्ता या वैज्ञानिक के लिए इसे पूरी तरह से पढ़ पाना संभव नहीं हो सका. मुख्यमंत्री स्टालिन की इस घोषणा ने शोधकर्ताओं, इतिहासकारों और आम लोगों में उत्साह का संचार किया है. अब यह देखना होगा कि इस पुरस्कार के माध्यम से किस शोधकर्ता या संगठन को सिंधु घाटी की लिपि के रहस्यों को सुलझाने में सफलता मिलती है.