आदि कैलाश और ओम पर्वत जैसी जगहों पर पहुंचने में होगी आसानी…

उत्तराखंड में पर्यटन के कई क्षेत्र मौजूद हैं, इसके अलावा भी सरकार की तरफ से इसको बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर काम किए जाते हैं. इसी के तहत अब उत्तराखंड सरकार और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के बीच एक एमओयू साइन किया गया है. इस MOU के बाद अब लोगों को आदि कैलाश और ओम पर्वत जैसी जगहों पर पहुंचने में आसानी होगी.

एमओयू पर उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड के अधिकारियों और आईटीबीपी के अधिकारियों ने साइन किए हैं. इस मौके पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, आईटीबीपी के महानिरीक्षक संजय कुमार गुंज्याल और सचिव, उत्तराखंड सरकार सचिन कुर्वे मौजूद रहे.

आदि कैलाश जाना होगा आसान
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड द्वारा सीमांत क्षेत्रों में हेली सेवाओं का विस्तार किया जा रहा है. उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों में आदि कैलाश, ओम पर्वत, टिम्मरसैन महादेव और अन्य धार्मिक पर्यटन स्थल स्थित हैं, जहां पर्यटकों को दुर्गम सड़कों के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. अब इस एमओयू की मदद से लोग आसानी से यहां तक पहुंच सकते हैं. अब भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल के कार्यक्षेत्र में उपलब्ध हेलीपैडों का उपयोग किया जाएगा.

इसके अतिरिक्त वाईब्रेंट विलेज में रहने वाले ग्रामीणों को आपातकालीन चिकित्सा की आवश्यकता पड़ने पर दवाइयां उपलब्ध करवाने और हैली द्वारा हायर सेंटर ले जाने हेतु भी इन हेलीपैड का उपयोग किया जाएगा.

क्या चाहती है राज्य सरकार?
उत्तराखंड राज्य सरकार यह चाहती है कि भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जितने भी हेलीपैड हैं, उनका इस्तेमाल भी राज्य में इमरजेंसी सेवाओं और पर्यटकों की सुविधा के लिए किया जाए. सरकार का यह उद्देश्य है कि वाइब्रेट विलेज योजना के तहत चलाए जा रहे कार्यक्रम के तहत अगर जरूरत पड़ती है, तो आईटीबीपी को भी इसके साथ जोड़ा जा सकता है. इस एमओयू के तहत पर्यटन को बढ़ाने के लिए काम किया जाएगा.

क्या है इस MOU का उद्देश्य?
आईटीबीपी वर्तमान में उत्तराखंड के उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ जिलों के सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात है. यह समझौता केंद्र सरकार के वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत सीमावर्ती गांवों के विकास के प्रयासों के अनुरूप है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्थानीय निवासियों को आजीविका के अवसर प्रदान करना और उनके जीवन स्तर में सुधार करना है.

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